Dhritrashtra"s love for his sons
Script error: No such module "AfC submission catcheck". पुत्रमोह में धृतराष्ट्र पांडवों के साथ अन्याय कर रहे थे लेकिन राजा और राज सिंहासन के प्रति निष्ठा के चलते भीष्म उनके साथ बने रहे। धृतराष्ट्र ने अपने पुत्र-मोह में सारे वंश और देश का सर्वनाश करा दिया। धृतराष्ट्र चाहते तो वे अपने पुत्र के हठ और अपराध पर लगाम लगा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और दुर्योधन को गलती पर गलती करने की अप्रत्यक्ष रूप से छूट दे दी। पांडवों के साथ हुए अति अन्याय के चलते ही महाभारत युद्ध हुआ। राज सिंहासन पर बैठे धृतराष्ट्र यदि न्यायकर्ता होते तो यह युद्ध टाला जा सकता था। विदुर ने कई बार धृतराष्ट्र को नीति और अनीति के बारे में बताया लेकिन धृतराष्ट्र ने जानबूझकर विदुर की बातों को नजरअंदाज किया।
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